कई कर्मचारी भी बहुत निराश हुए हैं. दो साल महामारी झेलने के बाद अब भविष्य पर फोकस करने का समय आ गया है.
ऐसे भी उदाहरण हैं जिनमें अस्पतालों ने मरीजों के शवों को बिलों के भुगतान होने तक बंधक बना लिया. ये निश्चित तौर पर अमानवीय है.